Tuesday, September 24, 2013


वो छोटी लडकी-2

अपनी माँ को सामने देख एक बार तो वो हक्की बक्की हुई , और फिर रोने लगी ! पल भर के लिये चुप हुई उसकी छोटी बहन भी रोने लगी ! उसकी माँ अभी भी चिल्लाये जा रही थी " सारे कपडें बिखेर दियें हैं ! काम तो कुछ करती नहीं ,और बस काम बढाये रहती है ! अबकी बार आने दे तेरी बुआ को तुझे भी भेज दुगीं उनके साथ ही ! पुरे छत पर धमाचौकडी मचा रखी है इस लडकी ने ! "
और ना जाने क्या क्या बड्बडाते हुए उसकी माँ ने सारे कपडों को इक्कठा किया और वापस निचे लौट गयी ! माँ के निचे जाते ही वो छोटी लडकी एकदम से चुप हो गयी और अपनी छोटी बहन को देखा ,जो छत पर बिखरे ककंडो के साथ ना जाने किस दुनिया मे मगशूल थी ! वो छोटी लडकी उठी और कोई लोकगीत गाते हुए छत पर इधर से उधर कुदने लगी , शायद वो नाच रही थी ! तभी माँ की आवाज ने मेरा ध्यान भग़ं किया " खाना लगा दिया है , अब निचे आ जाओ और खाना खालो , जल्दी आ जाओ बेटा ! "
मैने माँ को आने को कह एक बार फिर उस छोटी लडकी को देखा जो सामने के तालाब को एकटक देखे जा रही थी ! फिर मै वापस निचे आ गया खाना खाने !
भोजन कर लेने के पश्चात भी मै उसी लडकी के ख्यालो मे ही डुबा रहा !
उम्र तकरीबन साल की होगी ! बाल बिखराये हुए , मैले और कहीं कहीं फटे हुए कपडें पहने और अपनी छोटी बहन को अपने गोद मे लिये वो मेरी ओर ऐसे देख रही है जैसे कुछ कहना चाहती है ! फिर से माँ ने ही मुझे मेरे ख्यालो से वापस लाया : " कहाँ खोये हुए हो सुबह से ? कोइ बात है क्या ? "
मैने हसते हुए माँ से कहा : " नहीं रे, ऐसी कोइ बात नहीं है ! अच्छा माँ , इक बात बताना , ये जो सामने वाले घर मे जो लोग रहतें है , क्या करतें हैं ! "
तब माँ से उस लडकी के बारे मे पता चला !

ये लडकी मुझे अपने परिवार का एक हिस्सा सा लगने लगी थी , उसके बारे मे तो अभी और भी लिखना  चाहता हुँ , पर कुछ बाद के लिये भी शेष रखता हुँ ! फिर मिलतें हैं आगे कि कहानी के साथ ,जल्दी ही .......!!!!



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