Tuesday, September 17, 2013



वो छोटी लडकी


जाडे के दिनों मे छतों पर बैठ कर धूप सेंकना कितना सुखद होता है ना !! सामनें तालाब मे कलरव करते पन्दुब्बी पक्षियों को देखते देखते न जाने कितना समय व्य्तीत हो गया , पता ही नहीं चला की तभी अचानक सामने वाले छत पर एक छोटी सी लडकी कुछ कपडे लिये हुये अपने छत पर आयी और कपडों को बगल मे पडे बांस की लकडी पर रखा ! उसके पिछे उसकी छोटी बहन भी थी जिसे उसने अपने गोद मे उठाया और दुर बैठे एक बन्दर को दिखाने लगी !
मै बस एकटक उसे और उसके बालपन को निहारता रहा तभी वो छोटी लडकी भय से चिखने लगी और अपनी माँ को बुलाने लगी ! गोद मे उसकी छोटी बहन
भी रोने लगी ! माजरा मुझे तब समझ मे आया जब मैने देखा की एक बन्दर उसके छत पर कुद आया है और उसे डरा रहा है ! छोटी लडकी सि्ढीयों की ओर भागी और बन्दर उसके पिछे ! पर वो बेचारी उन्ही बांस कि लकडियों मे उलझ कर गिर पडी जिस पर उसने कपडे रखें थे ! बासों के गिरने का शोर सुन कर वो बन्दर भाग गया था ! और वो छोटी लडकी अपनी रोतीं हुइ छोटी बहन को चुप कराने लगी की तभी एक जोरदार थप्पड पडा उसके गालों पर !!...........


कहानी अभी खत्म नहीं हुइ हैं !.....पर आगे का शेष रहेगा !अगली बार लिखेंगे आगे का.....फिर मिलते हैं आगे की कहानी के साथ .......

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