Tuesday, October 1, 2013

 
वो छोटी लडकी-3

तब माँ से उस लडकी के बारे मे पता चला ! उसके पिता पेशे से धोबी थे और शायद विधाता भी यही चाहते थे उसके पिता से ! शायद इसलिये असमय ही उसके पिता के दोनो पैर छिन लिये ! उसकी माँ एक घरेलु महिला थी , जो पति के कामों मे हाथ बटातीं थी ! पाँच बहनों मे सबसे बडी थी वो और कोई भाई न था उसका ! माँ ने बताया की वो सरकारी विद्यालय मे जाती है और घर आते ही अपने माँ बाप के कामों मे हाथ बटाती थी !
जब तक मैने वहाँ अपनी छुट्टीयाँ व्यतीत की, उसे रोज उसी छत पर खेलता हुआ देखता रहता ! कभी वो अकेले ही छत पर इधर से उधर दौडती रहती तो कभी बहनों के साथ खेलती रहती ! हमारे प्रान्गण मे बन्धे गाय को तो रोटी खिलाना वो कभी नहीं भुलती थी ! नित्य अपने माँ के हाथों मार खाना और फिर सब भुला कर अपने खेल मे मगन हो जाना उसकी आदतों मे शामील था शायद ! और ऐसे हि मेरी छुट्टियाँ कब समाप्त हो गयी , मुझे पता ही नहीं चला !
समय ने बडी तेजी से करवट बदली ! मै एक साल बाद फिर छुट्टियाँ बिताने घर आ गया ! परन्तु वो छोटी लडकी , वो.........वहाँ छत पर नहीं थी !

फिर मिलतें है अपने अगले और अंतीम भाग के साथ..........!!

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