काटों से खेलना जानता तो
काटों से खेलना जानता तो
, युं कली ही
नहीं रहता,
फुल बनकर मुस्कुराता
!!
कौन हुं मै
, क्या है मतलब
,दौड कर रफ्तार
पाता ,
खुद से बेगाना
हुं मै , पर
भीड मे मै
दौड जाता !!
भीड मे मै
खो गया हुं
, अपनी पहचान ढुंढता हुं
,
उचीं उचीं दुर
कहीं खाईयों मे
, अकेले ही ग़ुजंता
हुं !!
काटों से खेलना जानता तो
, युं कली ही
नहीं रहता,
फुल बनकर मुस्कुराता
!!
अपनो से दुर
जाकर , जीत की
मुस्कान होती ,
दिन मे बेचैन
रहता , रात्री ना साथ
सोती !
खुद मे मै
व्यस्त रहता , रिश्तो कि
साख खोती !!
भेडों के इस
झुन्ड मे दौडता
हि जा रहा
हुं !
कुछ उम्मीदें हैं मेरी
, कुछ मै भी
पाना चाहता हुं
पर जब देखता
हुं चारो ओर
, फिर मै सोचता
हुं
उम्मीदों कि है
उम्र ही क्या ,
उम्मीदों कि है उम्र
ही क्या !
रुको ऐ दुनि्या वालों
, साथ मै भी आ रहा हुं !!
काटों से खेलना जानता तो
, युं कली ही
नहीं रहता,
फुल बनकर मुस्कुराता
!!