Tuesday, February 23, 2016

शायद हम बड़े हो गये हैं !!


अब वो इतवार नहीं आती ,
जिसका हम 6 दिन इंतजार करते थे ,
पुरे दिन का प्लान , पर पापा से डरते थे ,
अब पापा की वो डांट नहीं मिलती , 
माँ का वो डांट डांट कर खिलाना ,
अब तो बस संडे आती है ,
माँ - पापा तो मुझे बस अब, फ़ोन पर ही मिलते है !

शायद हम बड़े हो गये है !!

अब कोई नहीं कहता - 
" बेटा 6 बजे तक घर आ जाना " ,
अब कोई नहीं कहता - 
" पढाई करो , अबकी अच्छे नंबर है लाना " ,
बारिश में वो माँ के हाथ के पकौड़े ,
पापा की वो सुबह वाली चाय ,
दीदियों को चिढ़ा कर भाग जाना ,
होमवर्क ना होने पर भैया की मार ,
पर अब सब फ़ोन पर ही मिलते है !

शायद हम बड़े हो गये है !!

मस्ती में पुरे घर में शोर मचाना ,
पापा के आते ही एकदम से चुप हो जाना ,
अब नहीं देख पाता हुँ ,
माँ का सुबह से शाम तक काम के लिए भागना , 
पापा की वो थकान , फिर भी हमें देख कर मुस्कुराना , 
अब नहीं देख पाता हुँ  !

शायद हम बड़े हो गये है !!

सबसे पहले होमवर्क ख़त्म करके , भैया - दीदी को चिढ़ाना ,
खाने की मेज पर ही हल्ला मचाना ,
पापा का वो प्यार से  सर पे हाथ फिराना ,
माँ की गोद में सोते - सोते , सारी बातें बताना ,
वो पापा का शेर , माँ का हीरो , 
दूर कहीं अकेले ही दौड़ रहा है !

शायद हम बड़े हो गये है !!

लाख लड़ने पर भी दीदियों का वो प्यार बरसाना , 
अपने खाने में भी मेरा हिस्सा लगाना ,
खेल में मेरे लिये , भैया की लड़ाई ,
मेरे लिये माँ और पापा की लड़ाई ,
तस्वीरों शायद धुँधली हो गई है ,
ठीक से देख नहीं पाता हुँ !!


शायद हम बड़े हो गये है !!
शायद हम बड़े हो गये है !!