जलेबी -2
हमारी ओर आने का मतलब , वो जलेबी के दुकान के ओर आ रहा था ! अब उसका चेहरा साफ नजर आ रहा था ! देखने से तो उसकी उम्र 40 के आस पास ही लग रही थी! उसके चेहरे और माथे कि सिलवटें उसे ,
उसकी उम्र से ज्यादा बता रही थी परन्तु उसका हस्ट पुस्ट शरीर इस बात को पुरी तरह नकारता हुआ प्रतीत हुआ ! उसके चेहरे की खुशी ये बता रही थी कि शायद आज ही उसे तन्ख्वाह मिली थी !
उसने दुकनदार से जलेबी के भाव पु्छे ! शायद दुकानदार अन्य ग्राहकों मे कुछ ज्यादा ही व्यस्त था या उसे उस मजदुर मे कोई दिलचस्पी नहीं थी ! उसके बार बार पुछने पर भी जब दुकनदार ने उसे कोई जवाब नहीं दिया तो मैने उसे जलेबी का भाव बता दिया ! वो थोडा सहमा मुझे देखकर, फिर उसके चेहरे पर मेरे लिये कृतज्ञता का भाव था , जो मै जलेबी खाने मे व्यस्त होने के बावजुद उसके चेहरे पर साफ साफ देख सकता था !
फिर वो कोने मे ख़डा होकर अपने कुर्ते से कुछ रुपये निकाल कर गिनने लगा ! शायद वो उसे कम लगे या वास्त्विकता को जाचंने के लिये उसने रुपयों को दुबारा गिना !फिर उसमे से कुछ रुपयों को उसने अपने कुर्ते मे वापस रखा और कुछ अपने हाथों कि मुठीयों मे!
मुठीयों मे रुपयों कि उस भिचन को देखकर मुझे उस दिन उन चन्द रुपयों कि कीमत पता चली और समाज की इस असमानता , वर्ग-भेद , और अत्यन्त विचलित , परन्तु एक वास्त्विकता का अहसास हुआ !
फिर अचानक अपने कन्धे पर मैने भैईया के हाथों को महसुस किया ! उन्होने वापस चलने का इशारा किया ! मै भैइया के साथ उस सडक , पर जो की असीमित लम्बाई तक विस्त्रित थी ! फिर पि्छे मुडकर उस व्यक्ति को देखा मैने , जो की जलेबी खाने का इन्तजार कर रहा था पर शायद नहीं , उसे इन्तजार जलेबी का नहीं था , वो तो अपनी किस्मत का इन्तजार कर रहा था!
आज बस इतना ही .......जल्दी ही वापस मिलेंगे नयी सोच के साथ !!तब तक के लिये ख़ुश रहिये,मस्त रहिये !!